Saturday, March 27, 2010
Wednesday, March 24, 2010
आज दिनभर मिज़ाज शायराना था ।
आज दिनभर मिज़ाज शायराना था ।
नहाते वक्त शॉवर की बुंदोमें अलगसी तरन्नुम थी । गाडी को किकस्टार्ट किया, फ़िर से बंद कर के एक और बार ...किकस्टार्ट कर दी..सोचा ‘उला’ को ‘मिस्रा’की जोड मुनासिब होगी ।सिग्नल बुझते-खुलते दिये जैसे धिरे धिरे कोई नज़्म खोल रही हो ।
और जब ‘ट्राफ़िक पुलिस’ के हाथों के इशारे ‘वाह वाह’ करते वक्त जैसे लगते है वैसे लगने लगे तब खुद की हसी रोक न पाया मै । ऑफ़िस के सिढियों पे चढते उतरते वक्त की आवाजें इतनी शायराना कभी न थी ।
रास्ते पर किसी लडकीने हाथ दिया और मैने मेरा हात ‘धत्त्त्त...!’ कर के खुद के माथे पर मार लिया...क्युं की उसका हाथ मुझे नही किसी रिक्षावाले को था ।
(मैने हाथ सिर पर मारा तब उसने रिक्षासे झाक कर एक बार हंस दिया यु लगा तो था कुछ कुछ.....) खैर ....खयालों में ही सही किसी ने मुस्कुराके हाथ तो दिया..
यु की ....
सुबह सुबह गुलज़ारसाब को टिव्ही पे रुबरु बतयाते देखा...
बस्स्स....सो...आज दिनभर मिज़ाज शायराना था ।
-प्राजक्त११:३०
२४०३१०
Monday, March 22, 2010
विदुषक - मी ..
मी : पुश्कळदा...
विदुषक : आणि ...आयते खाली सडा पडलेला प्राजक्त सडा कितीदा वेचलाय ?
मी : ....................!
प्राजक्त
१२:32
230310
अवघ्या महाराष्ट्राची ‘संगीत देवबाभळी’ - (सामना)
मराठी रंगभूमीने नेहमीच मेहनत आणि प्रतिभेची कदर केलेली आहे. कलावंत नेहमीच बैरागी पंथातला असतो. कारण आपल्या कलेच्या पलीकडे त्याला काहीच महत...
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1) Shripad Deshpande : काही-काही गोष्टी लहानपणापासून माझी तंद्री लावणाऱ्या. म्हणजे गरम गरम कातळावर तांब्याच्या पेल्यातून पाणी सोडलं त...
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जिंदगीभर कोइ गम तो ढो ता नही जख्म धो भी लेगा की दर्द धोता नही खुदको कोस कर कहा मैने अपने अापसे इसकदर कोइ अपनी जान खोता नही ...