बे साले बुरा लगा क्या ?
अब बैठेगी धुल
जिसको बहुत ही दी थी तूल
बजी थी बीन चुनावी
धरपकड खिंचातानी
खिंचातानी से
पतलुने फट गई
और सीटें बट गई
चीट मचाओ
अब तो सीट जिताओ
अपोझीशन के सामने जाओ
उसकी करतूतें
भद्दे सूर में गाओ
गाओ और फिर पुछो,
बेसुरा लगा क्या ?
बे साले बुरा लगा क्या?
छनछन कि लक्ष्मी
मनमन कि लक्ष्मी
अब बारिश होगी
वो भी इंग्लीश होगी
अब हाथ जुडेंगे
वो पुरी बात सुनेंगे
सब का थाट दिखेगा
'उंगली डॉट' बिकेगा
इन्सान पटेगा
इन्सान बटेगा
इन्सान कि कसम
इन्सान कटेगा
जानबुझके
खंजर घोपेंगे
घोप के फिर वो
ये पुंछेगे
उप्स ! साब जी, छुरा लगा क्या ?
बे साले बुरा लगा क्या?
फिर ये जितेंगे
और वो हारेंगे
हारनेवाले आगबबुला
आगबबुला निले पिले
फिर अंधीयारोंमे होंगी डीले
टेंडर मेरा , तूम म्युनसिपल
डील भी ऎसी सिम्पल सिम्पल
तू झुठमूठ का "मारों” कहना
हम बिना वजह ही उई करेंगे
खा-पी के फिर जम्हाई देंगे
उस्ताद-बंदरीया ,खेल-तमाशा
पब्लिक के मुंहपर इक और तमाचा
खेल खत्म फिर बोला मालिक
देख बंदरीया देख वो पब्लिक
जिसको भेजा था उस्ताद बनाके
हालत से तुझको जंबुरा लगा क्या ?
बे साले बुरा लगा क्या ?