Friday, September 29, 2017

ज्जे दुनिया है टीन का डिब्बा ( कविता)

ज्जे दुनिया है टीन का डिब्बा , खडबड खड्ड् 
कंकड डालो अौर बजाअौ , खडबड खड्ड् 

पैर काटकर खेल तमाशा देखेंगे
एक पैर के देशराग को बेचेंगे
तुफान इशाराये भी इक अभिसंधि है
चुनाव के परे तर्जनीयों पर बंदी है
पक्ष-विपक्ष म्युझीकल चेअर, हडबड हड्ड ! 
ज्जे दुनिया है टीन का डिब्बा , खडबड खड्ड् 

छोरी बोले, नुक्कडपर एक चेप दिखा है 
हर अखबार के इक पन्ने पर रेप लिखा है
चाय की चुस्की नींद भगाकर चख लेंगे
अखबारों को थूक लगा कर रख लेंगे
ट्रेन है, या है जुबां फिसलती ? धडधड धड्ड !
ज्जे दुनिया है टीन का डिब्बा , खडबड खड्ड् 

पेड पेड था छांव सुहानी पडती थी 
जात भी तुमको याद दिलानी पडती थी
गुच्छेंमे उपनाम से तुम उलझते हो
अब पेडों के वल्कल को तुम खुरचते हो 
घाव खुला तो जखम सडेगी, सडसड सड्ड् !
ज्जे दुनिया है टीन का डिब्बा , खडबड खड्ड् 

काम छोड अौर व्हिजन देख बे नोबल है
गुगल कर अौर देख गांव भी ग्लोबल है 
छाती मे भर सांस और तू नारा दे 
ओज कि जै हो, हाय हाय अंधियारा रे
पेट के बदले छाती से नारा? ज्जे गडबड ! 
ज्जे दुनिया है टीन का डिब्बा , खडबड खड्ड् 

ज्जे दुनिया है टीन का डिब्बा , खडबड खड्ड् 

कंकड डालो अौर बजाअौ , खडबड खड्ड्  !

- प्राजक्त २६/०९/२०१७

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